न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, किच्छा/ सितारगंज
Updated Wed, 30 Dec 2020 09:54 AM IST
भगवंत मान – फोटो : अमर उजाला (File Photo)
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कृषि बिलों के विरोध में किसान आंदोलन के समर्थन के लिए आम आदमी पार्टी पांच विधानसभा क्षेत्रों में किसान न्याय यात्रा निकालेेगी। यात्रा के लिए पार्टी के सांसद भगवंत मान उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर हैं।
30 दिसंबर को किसान न्याय यात्रा किच्छा और सितारगंज विधानसभा होते हुए गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब के पास पहुंचेगी। इसके बाद यात्रा 4 बजे तराई बीज निगम मैदान खटीमा पहुंचेगी।
कृषि कानूनों के विरोध और किसानों का समर्थन जुटाने के लिए आप सांसद भगवंत मान ने मंगलवार को जसपुर से अपनी किसान न्याय यात्रा का शुभारंभ किया। उनकी यात्रा जसपुर के बाद काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर होते हुए देर शाम को रुद्रपुर पहुंची।
सांसद मान ने कहा कि किसान एक महीने से बॉर्डर पर बैठे हैं। देश के पूंजीपतियों के मन की बात समझने वाले पीएम मोदी किसानों के मन की बात नहीं समझ पा रहे हैं। मोदी जिस कानून को किसानों के लिए फायदेमंद बता रहे हैं, उन्हीं कानूनों को किसान खुद के लिए नुकसानदायक बता रहे हैं।
फिर क्यों सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं कर रही है। सरकार की मंशा इस कानून से पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने और किसान को लाचार बनाने की है। उत्तराखंड और पंजाब में आज भी किसानों को चीनी मिलों से भुगतान का इंतजार है। कई जगह चीनी मिलें बंद हो गई हैं।
कृषि बिलों के विरोध में किसान आंदोलन के समर्थन के लिए आम आदमी पार्टी पांच विधानसभा क्षेत्रों में किसान न्याय यात्रा निकालेेगी। यात्रा के लिए पार्टी के सांसद भगवंत मान उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर हैं।
30 दिसंबर को किसान न्याय यात्रा किच्छा और सितारगंज विधानसभा होते हुए गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब के पास पहुंचेगी। इसके बाद यात्रा 4 बजे तराई बीज निगम मैदान खटीमा पहुंचेगी।
कृषि कानूनों के विरोध और किसानों का समर्थन जुटाने के लिए आप सांसद भगवंत मान ने मंगलवार को जसपुर से अपनी किसान न्याय यात्रा का शुभारंभ किया। उनकी यात्रा जसपुर के बाद काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर होते हुए देर शाम को रुद्रपुर पहुंची।
किसानों के मन की बात नहीं समझ पा रहे पीएम मोदी
सांसद मान ने कहा कि किसान एक महीने से बॉर्डर पर बैठे हैं। देश के पूंजीपतियों के मन की बात समझने वाले पीएम मोदी किसानों के मन की बात नहीं समझ पा रहे हैं। मोदी जिस कानून को किसानों के लिए फायदेमंद बता रहे हैं, उन्हीं कानूनों को किसान खुद के लिए नुकसानदायक बता रहे हैं।
फिर क्यों सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं कर रही है। सरकार की मंशा इस कानून से पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने और किसान को लाचार बनाने की है। उत्तराखंड और पंजाब में आज भी किसानों को चीनी मिलों से भुगतान का इंतजार है। कई जगह चीनी मिलें बंद हो गई हैं।