उत्तराखंड: गंगोत्री ग्लेशियर में फैल रहे कूड़े के मामले में अब हाईकोर्ट में छह जनवरी को होगी सुनवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल
Updated Wed, 30 Dec 2020 11:17 PM IST
कोर्ट में सुनवाई(प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2017 में हाईकोर्ट ने गंगोत्री ग्लेशियर में कूड़े कचरे की वजह से पानी ब्लॉक हो गया है और वहां पर कृत्रिम झील बन गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने पहले जवाब में माना था कि झील बनी है जबकि बाद में कहा था कि हेलिकॉप्टर के सर्वे के बाद देखा तो झील नहीं बनी है। 2018 में कोर्ट ने जनहित याचिका में सुनवाई के बाद सरकार को तीन माह में इसकी मॉनिटरिंग करने व छह माह में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सरकार की ओर से कुछ नहीं किया गया। उसके बाद याचिकाकर्ता द्वारा फिर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया।
इस प्ररकण पर सूत्र बताते हैं कि सरकार ने कोर्ट में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की है। जिसमें आपदा प्रबंधन न्यूनीकरण केंद्र के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला के निलंबन व तीन अन्य सेक्शन अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का उल्लेख किया है।
वहीं, आपको बता दें कि हाल ही में गंगा भागीरथी के उद्गम गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने गोमुख के पास जमा भारी मलबे से झील बनने की आशंका को लेकर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और गंगोत्री नेशनल पार्क की टीम ने गोमुख पहुंचकर हालात का जायजा लिया था।
गोमुख का निरीक्षण कर लौटी टीम के अनुसार गोमुख में कोई झील नहीं बनी है। यहां वर्ष 2017 में नीला ताल टूटने से आया भारी मलबा जमा होने से नदी का प्रवाह पथ बदल गया है।