न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Thu, 31 Dec 2020 10:33 AM IST
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बिकरू कांड की जांच के लिए गठित एसआईटी की सिफारिश स्वीकार करते हुए योगी सरकार ने सिद्धदोष दुर्दांत अपराधियों को पैरोल न देने का फैसला किया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने इसका शासनादेश भी जारी किया।
शासनादेश में सभी जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों और लखनऊ व गौतमबुद्धनगर के पुलिस कमिश्नरों को निर्देश दिए गए हैं कि एसआईटी की सिफारिशों व केंद्रीय गृह मंत्रालय की तीन सितंबर, 2020 को जारी संशोधित गाइडलाइन को देखते हुए बंदियों के पैरोल (दंड का अस्थाई निलंबन) के प्रकरणों का परीक्षण करने के बाद ही शासन को रिपोर्ट भेजी जाए।
आदेश में यह भी कहा गया है कि पैरोल के संबंध में दुर्दांत अपराधियों को उनके आजीवन कारावास के दौरान पैरोल पर न छोड़े जाने की सिफारिश की गई है। जानकारों के अनुसार एसआईटी का मानना है कि विकास दुबे जैसे दुर्दांत अपराधियों को पैरोल न मिलने से उनकी आपराधिक गतिविधियों पर रोक लग सकेगी। जनसामान्य में उनका भय भी तभी खत्म हो सकेगा।
बिकरू कांड की जांच के लिए गठित एसआईटी की सिफारिश स्वीकार करते हुए योगी सरकार ने सिद्धदोष दुर्दांत अपराधियों को पैरोल न देने का फैसला किया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने इसका शासनादेश भी जारी किया।
शासनादेश में सभी जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों और लखनऊ व गौतमबुद्धनगर के पुलिस कमिश्नरों को निर्देश दिए गए हैं कि एसआईटी की सिफारिशों व केंद्रीय गृह मंत्रालय की तीन सितंबर, 2020 को जारी संशोधित गाइडलाइन को देखते हुए बंदियों के पैरोल (दंड का अस्थाई निलंबन) के प्रकरणों का परीक्षण करने के बाद ही शासन को रिपोर्ट भेजी जाए।
आदेश में यह भी कहा गया है कि पैरोल के संबंध में दुर्दांत अपराधियों को उनके आजीवन कारावास के दौरान पैरोल पर न छोड़े जाने की सिफारिश की गई है। जानकारों के अनुसार एसआईटी का मानना है कि विकास दुबे जैसे दुर्दांत अपराधियों को पैरोल न मिलने से उनकी आपराधिक गतिविधियों पर रोक लग सकेगी। जनसामान्य में उनका भय भी तभी खत्म हो सकेगा।