अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Updated Mon, 04 Jan 2021 07:55 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट – फोटो : अमर उजाला
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केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की इलाहाबाद खंडपीठ ने डीआइजी स्थापना एवं कार्मिक, यूपी पुलिस मुख्यालय की पदोन्नति के संबंध में अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिया है कि वे याची के पदोन्नति संबंधी प्रत्यावेदन पर कानून के तहत विचार कर सकारण आदेश पारित करें । यह आदेश कैट की न्यायिक सदस्य जस्टिस विजय लक्ष्मी व देवेंद्र चौधरी की खंडपीठ ने याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर दिया है ।
मामले के अनुसार याची डीआईजी डॉ. राकेश शंकर वर्तमान में स्थापना/ कार्मिक के पद पर यूपी पुलिस मुख्यालय में कार्यरत हैं । वह वर्ष 1985 बैच के पीपीएस आफिसर हैं । इनकी आईपीएस पद पर प्रोन्नति वर्ष 2002 में हुई थी। इन्हें 2008 में डीआईजी बनाया गया। डीआईजी से आईजी पद पर प्रमोशन के लिए बतौर आईपीएस 18 वर्ष की सेवा का प्रावधान है। पदोन्नति का आधार वरिष्ठता व मेरिट है । कहा गया है कि आईपीएस अधिकारी की वरिष्ठता सूची में याची का नाम 137 पर अंकित है । इस वरिष्ठता सूची के आधार पर वर्ष 2002 बैच के आईपीएस अधिकारियों में से 8 अफसरों को डीआइजी से आई पद पर प्रमोशन 1 जनवरी 2020 को दिया गया है।
अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि डीआईजी सतेंद्र कुमार सिंह, जितेंद्र कुमार शुक्ल व पीयूष श्रीवास्तव का नाम वरिष्ठता सूची में याची के नीचे था, परंतु इन जूनियर आईपीएस अधिकारियों को आईजी बना दिया गया है, जबकि याची के उनसे सीनियर होने के बावजूद पदोन्नति नहीं की गई है । कहा गया था कि याची पदोन्नति के सारे मानदंडों को पूरा कर रहा है। उसके खिलाफ कोई भी विभागीय कार्यवाही अथवा क्रिमनल केस डीपीसी के समय नहीं था। कहा गया था कि याची की पदोन्नति न करना गलत था।
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की इलाहाबाद खंडपीठ ने डीआइजी स्थापना एवं कार्मिक, यूपी पुलिस मुख्यालय की पदोन्नति के संबंध में अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिया है कि वे याची के पदोन्नति संबंधी प्रत्यावेदन पर कानून के तहत विचार कर सकारण आदेश पारित करें । यह आदेश कैट की न्यायिक सदस्य जस्टिस विजय लक्ष्मी व देवेंद्र चौधरी की खंडपीठ ने याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर दिया है ।
मामले के अनुसार याची डीआईजी डॉ. राकेश शंकर वर्तमान में स्थापना/ कार्मिक के पद पर यूपी पुलिस मुख्यालय में कार्यरत हैं । वह वर्ष 1985 बैच के पीपीएस आफिसर हैं । इनकी आईपीएस पद पर प्रोन्नति वर्ष 2002 में हुई थी। इन्हें 2008 में डीआईजी बनाया गया। डीआईजी से आईजी पद पर प्रमोशन के लिए बतौर आईपीएस 18 वर्ष की सेवा का प्रावधान है। पदोन्नति का आधार वरिष्ठता व मेरिट है । कहा गया है कि आईपीएस अधिकारी की वरिष्ठता सूची में याची का नाम 137 पर अंकित है । इस वरिष्ठता सूची के आधार पर वर्ष 2002 बैच के आईपीएस अधिकारियों में से 8 अफसरों को डीआइजी से आई पद पर प्रमोशन 1 जनवरी 2020 को दिया गया है।
अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि डीआईजी सतेंद्र कुमार सिंह, जितेंद्र कुमार शुक्ल व पीयूष श्रीवास्तव का नाम वरिष्ठता सूची में याची के नीचे था, परंतु इन जूनियर आईपीएस अधिकारियों को आईजी बना दिया गया है, जबकि याची के उनसे सीनियर होने के बावजूद पदोन्नति नहीं की गई है । कहा गया था कि याची पदोन्नति के सारे मानदंडों को पूरा कर रहा है। उसके खिलाफ कोई भी विभागीय कार्यवाही अथवा क्रिमनल केस डीपीसी के समय नहीं था। कहा गया था कि याची की पदोन्नति न करना गलत था।