न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Thu, 14 Jan 2021 09:49 PM IST
आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि देते मुख्यमंत्री और कैबिनेट के सदस्य। – फोटो : अमर उजाला
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पंजाब मंत्रिमंडल ने गुरुवार को एक औपचारिक प्रस्ताव पारित कर विधानसभा में पिछले साल केंद्रीय कृषि कानून रद्द किए जाने के लिए पास विधेयकों के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। कैबिनेट ने केंद्र सरकार से खेती कानून रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि भारत के संविधान के अंतर्गत कृषि पूरी तरह से प्रांतीय विषय है। किसानों की सभी जायज मांगें मानी जाए।
कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से खेती कानूनों पर रोक लगाने के आदेश का स्वागत किया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने साफ कर दिया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए खेती कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। ये कदम उठाने से ही मौजूदा समस्या का निपटारा हो सकता है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की यह मीटिंग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के एक सूत्रीय एजेंडे पर बुलाई थी।
केंद्र एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाए बैठक में कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। कैबिनेट के सदस्यों ने एक स्वर में मांग की कि केंद्र सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानूनी अधिकार बनाए। किसान पूरे देश का पेट भरते हैं लेकिन इसके बावजूद बीते कई दिनों से उन्हें उपज का बहुत ही कम मूल्य मिल रहा है।
बैठक की शुरुआत में मंत्रिमंडल ने किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की याद में दो मिनट का मौन रखा। आंदोलन के दौरान लगभग 78 किसानों की मौत हो चुकी है। कैबिनेट ने यह भी कहा कि इस संघर्ष के मौके पर और जानी नुकसान से बचने के लिए इस समस्या का जल्द निपटारा किए जाने की जरूरत है। केंद्र सरकार को इस मसले को प्रतिष्ठा और अभिमान का सवाल नहीं बनाना चाहिए क्योंकि यदि यह मुद्दा अनसुलझा रहा तो कई दशकों तक देश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
देशभर में लाखों किसानों के भविष्य पर प्रभाव पड़ा प्रस्ताव के मुताबिक, सभी संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत तौर पर संवाद करने और विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत है क्योंकि इन कानूनों के साथ देशभर में लाखों किसानों के भविष्य पर प्रभाव पड़ा है। पंजाब कैबिनेट ने किसानों द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष किए जाने की भी सराहना की।
पंजाब मंत्रिमंडल ने गुरुवार को एक औपचारिक प्रस्ताव पारित कर विधानसभा में पिछले साल केंद्रीय कृषि कानून रद्द किए जाने के लिए पास विधेयकों के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। कैबिनेट ने केंद्र सरकार से खेती कानून रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि भारत के संविधान के अंतर्गत कृषि पूरी तरह से प्रांतीय विषय है। किसानों की सभी जायज मांगें मानी जाए।
कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से खेती कानूनों पर रोक लगाने के आदेश का स्वागत किया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने साफ कर दिया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए खेती कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। ये कदम उठाने से ही मौजूदा समस्या का निपटारा हो सकता है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की यह मीटिंग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के एक सूत्रीय एजेंडे पर बुलाई थी।
केंद्र एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाए
बैठक में कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। कैबिनेट के सदस्यों ने एक स्वर में मांग की कि केंद्र सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानूनी अधिकार बनाए। किसान पूरे देश का पेट भरते हैं लेकिन इसके बावजूद बीते कई दिनों से उन्हें उपज का बहुत ही कम मूल्य मिल रहा है।
जान गंवाने वाले किसानों की याद में दो मिनट का मौन
बैठक की शुरुआत में मंत्रिमंडल ने किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की याद में दो मिनट का मौन रखा। आंदोलन के दौरान लगभग 78 किसानों की मौत हो चुकी है। कैबिनेट ने यह भी कहा कि इस संघर्ष के मौके पर और जानी नुकसान से बचने के लिए इस समस्या का जल्द निपटारा किए जाने की जरूरत है। केंद्र सरकार को इस मसले को प्रतिष्ठा और अभिमान का सवाल नहीं बनाना चाहिए क्योंकि यदि यह मुद्दा अनसुलझा रहा तो कई दशकों तक देश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
देशभर में लाखों किसानों के भविष्य पर प्रभाव पड़ा प्रस्ताव के मुताबिक, सभी संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत तौर पर संवाद करने और विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत है क्योंकि इन कानूनों के साथ देशभर में लाखों किसानों के भविष्य पर प्रभाव पड़ा है। पंजाब कैबिनेट ने किसानों द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष किए जाने की भी सराहना की।