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मध्य प्रदेश के गुना जिले के भानपुरा बावा गांव के भरत सिंह से अपनी पत्नी की दिक्कत देखी नहीं गई और उन्होंने 15 दिन में घर में ही कुआं खोद डाला। जिला प्रशासन ने पत्नी के प्रति पति की चिंता की सराहना की और कुछ सरकारी योजनाओं को लाभ उन्हें देने का फैसला लिया।
46 वर्षीय भरत मजदूर है। उसकी पत्नी रोजाना करीब आधा किलोमीटर दूर से एक हैंडपंप से पानी लाती थी ताकि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। एक दिन हैंडपंप खराब होने के चलते घर में पानी नहीं आया। दुखी होकर लौटी पत्नी ने इसकी शिकायत उससे की।
भरत ने बताया कि उसने पत्नी से कहा कि वह उसके लिए घर में ही कुआं खोदेगा। इस विचार पर पत्नी खूब हंसी। इसके बाद उसने इसे चुनौती के रूप में लिया और सभी को आश्चर्यचकित करते हुए मात्र 15 दिन में 31 फीट गहरा और 6 फीट चौड़ा कुआं खोद डाला।
उन्होंने बताया कि इस कुएं से न केवल बुजुर्ग मां समेत परिवार के अन्य सदस्यों की दैनिक जरूरतें पूरी होती हैं बल्कि छोटे खेत की सिंचाई भी हो जाती है। झोपड़ी में रहने वाले भरत ने कहा कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं और बीपीएल श्रेणी में आते हैं। कई कोशिशों के बाद भी उन्हें राशन कार्ड नहीं मिला।
गुना के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने उनके प्रयास की सराहना की। उन्होंने जिला पंचायत के अधिकारियों को प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत उनकी मदद करने का निर्देश दिया।
मध्य प्रदेश के गुना जिले के भानपुरा बावा गांव के भरत सिंह से अपनी पत्नी की दिक्कत देखी नहीं गई और उन्होंने 15 दिन में घर में ही कुआं खोद डाला। जिला प्रशासन ने पत्नी के प्रति पति की चिंता की सराहना की और कुछ सरकारी योजनाओं को लाभ उन्हें देने का फैसला लिया।
46 वर्षीय भरत मजदूर है। उसकी पत्नी रोजाना करीब आधा किलोमीटर दूर से एक हैंडपंप से पानी लाती थी ताकि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। एक दिन हैंडपंप खराब होने के चलते घर में पानी नहीं आया। दुखी होकर लौटी पत्नी ने इसकी शिकायत उससे की।
भरत ने बताया कि उसने पत्नी से कहा कि वह उसके लिए घर में ही कुआं खोदेगा। इस विचार पर पत्नी खूब हंसी। इसके बाद उसने इसे चुनौती के रूप में लिया और सभी को आश्चर्यचकित करते हुए मात्र 15 दिन में 31 फीट गहरा और 6 फीट चौड़ा कुआं खोद डाला।
उन्होंने बताया कि इस कुएं से न केवल बुजुर्ग मां समेत परिवार के अन्य सदस्यों की दैनिक जरूरतें पूरी होती हैं बल्कि छोटे खेत की सिंचाई भी हो जाती है। झोपड़ी में रहने वाले भरत ने कहा कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं और बीपीएल श्रेणी में आते हैं। कई कोशिशों के बाद भी उन्हें राशन कार्ड नहीं मिला।
गुना के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने उनके प्रयास की सराहना की। उन्होंने जिला पंचायत के अधिकारियों को प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत उनकी मदद करने का निर्देश दिया।