दिल्ली दंगा : अदालत ने तीन लोगों की जमानत दी गई, कहा- आरोप पत्र दाखिल करने में की गई लापरवाही

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : फाइल फोटो
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने पिछले साल 25 फरवरी को दंगों के दौरान जाफराबाद इलाके में फलों के एक गोदाम में लूटपाट और आगजनी के मामले में ओसामा, आतिर और गुलफाम को दस-दस हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी राशि के मुचलके पर जमानत दे दी ।
अदालत ने कहा कि जमानत याचिकाओं पर पुलिस के जवाब में कुछ गवाहों की सूची दी गई, लेकिन पिछले साल मई में दाखिल आरोप पत्र में कुछ गवाहों के बयान नहीं थे। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कह कि जमानत याचिकाओं, इसके जवाब में दाखिल हलफनामे और खासकर आरोप पत्र पर गौर करने के बाद यही लगता है कि लापरवाही से आरोप पत्र तैयार कर इसे दाखिल किया गया। जांच में भी लापरवाही बरती गई है।
न्यायाधीश ने कहा कि गवाहों की जो सूची दाखिल की गई, उसमें कुछ गवाहों का उल्लेख है। सीआरपीसी की धारा 161 (पुलिस द्वारा पूछताछ) के तहत किसी भी गवाहों के बयान को आरोप पत्र में शामिल नहीं किया गया। इसके बाद 22 मई को बहुत ढीले-ढाले तरीके से आरोप पत्र दाखिल किया गया है।
अदालत ने तीनों आरोपियों को सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और बिना अनुमति के दिल्ली से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया। विशेष लोक अभियोजक उत्तम दत्त ने जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी दंगा में शामिल थे।